अमेरिका के पूर्व व्हाइट हाउस व्यापार सलाहकार पीटर नवारो एक विवादित बयान के कारण भारत में आक्रोश के केंद्र में आ गए हैं। नवारो ने ‘ब्राह्मण मुनाफाखोरी’ (Brahmin Profiteering) शब्द का इस्तेमाल करते हुए आरोप लगाया कि भारत में ऊर्जा व्यापार में मुनाफाखोरी हो रही है। इस बयान पर भारत में ‘जातिवादी’ और ‘भारत विरोधी’ टिप्पणी कहकर कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है।
विवाद की जड़: “ब्राह्मण” शब्द का इस्तेमाल
नवारो का बयान भारतीय समाज में सबसे संवेदनशील हिस्से को छू गया। भारत में ब्राह्मण समुदाय पर सीधा आरोप लगाने को जनता ने जातिगत टिप्पणी माना और सोशल मीडिया पर #PeterNavarro और #BrahminProfiteering तेजी से ट्रेंड करने लगे। आलोचकों ने इसे “घृणित और अज्ञानतापूर्ण” बयान बताया।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नवारो का इशारा अमेरिकी संदर्भ के “Boston Brahmins” यानी अमीर अभिजात वर्ग की ओर हो सकता है, लेकिन भारत में इसे सीधा जातिगत हमला माना गया।
भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नवारो के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत रूस से तेल खरीदने में किसी भी वैश्विक नियम का उल्लंघन नहीं कर रहा। यह कदम वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए है।
पुरी ने कहा कि, “भारत अपने व्यापारिक साझेदार खुद तय करता है और हम अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेंगे।”
रूस-यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा राजनीति
नवारो के आरोप रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए सस्ते दाम पर रूसी कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है। नवारो ने भारत को “क्रेमलिन का लॉन्ड्रोमैट” बताते हुए आरोप लगाया कि भारत रियायती तेल refinery कर अन्य देशों को प्रीमियम दरों पर बेचकर रूस को लाभ पहुंचा रहा है।
भारत ने इसका मजबूती से जवाब देते हुए कहा कि यूरोप समेत कई देश भी रूस से ऊर्जा आयात कर रहे हैं, ऐसे में भारत को निशाना बनाना गलत है।
राजनयिक असर
यह विवाद पहले से ही जटिल भारत-अमेरिका संबंधों में नया तनाव जोड़ सकता है। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का अहम रणनीतिक साझेदार है, लेकिन ऐसे बयान दोनों देशों के बीच विश्वास को कमजोर कर सकते हैं।
भारतीय विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के नेताओं द्वारा भारतीय सामाजिक संरचना की जटिलताओं को नजरअंदाज करना या गलत तरीके से प्रस्तुत करना लगातार दोनों देशों के बीच कूटनीतिक असहजता पैदा करता है।
निष्कर्ष
पीटर नवारो का ‘ब्राह्मण मुनाफाखोरी’ बयान केवल एक जातिगत टिप्पणी नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता और उसकी ऊर्जा नीति पर सीधा हमला माना जा रहा है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी विदेश नीति राष्ट्रीय हितों और रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है, न कि किसी बाहरी दबाव पर।
यह विवाद दर्शाता है कि वैश्विक मंच पर नेताओं को अन्य देशों की संवेदनशीलताओं और उनकी सामाजिक संरचना की गहरी समझ चाहिए। वरना, ऐसे बयान सिर्फ तनाव और अविश्वास को बढ़ाने का काम करेंगे।