मंदिर में नाग देवता के मेले में था, इसलिए बच गई जान - उत्तरकाशी के होटल मालिक की आपबीती
मंगलवार को जब जय भगवान के होटल में कोई मेहमान नहीं आया, तो उन्होंने सोचा कि पास के मंदिर में चल रहे नाग देवता उत्सव में जाकर समय बिताया जाए। यही फैसला उनकी जान बचाने वाला साबित हुआ। बाजार से कुछ दूरी पर स्थित यह मंदिर उन गिनती के ढांचों में था जो बाढ़ में बच गए।रात 1:40 बजे जब जय भगवान मेले में शामिल थे, तभी अचानक शोर-गुल सुनाई दिया। उनके शब्दों में, "पहले तो गड़गड़ाहट की आवाज आई, फिर पास के गांव से लोगों की चीख-पुकार सुनाई दी। लोग सीटी भी बजा रहे थे, लेकिन हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। फिर मिट्टी, पानी और पत्थरों की विशाल लहरें आईं।"
होटल बहा ले गई बाढ़
जय भगवान का चार मंजिला होटल उन इमारतों में था जो तेज बाढ़ की चपेट में आकर बह गए। "हमें तुरंत समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। मैंने अपने घर की तरफ भागने की कोशिश की जो कुछ मीटर दूर था, लेकिन 20 मिनट में ही पानी हमारे घर तक पहुंच गया," जय भगवान ने बताया।बाद में जब उन्होंने वीडियो देखा तो घटना की भयावहता का अहसास हुआ। "वीडियो में मेरा होटल बहता हुआ दिख रहा था। 40 कमरों का होटल था, लेकिन पत्ते की तरह बह गया।"
परिवार की चिंता और राहत
धारली से भागने के बाद अगले कुछ घंटे जय भगवान ने अपने परिवारजनों को फोन करने में बिताए। "मंगलवार दोपहर 4 बजे तक मैं उनसे संपर्क कर सका था, उसके बाद वे अनुपलब्ध हो गए," उन्होंने कहा।सौभाग्य से मानसून के कारण पर्यटन में मंदी होने से अधिकतर होटल खाली थे और बाजार में भी कम लोग थे। "दूसरे महीनों में चार धाम यात्रा के दौरान मेरा होटल पूरी तरह बुक रहता है। अच्छी बात यह है कि मेरे स्टाफ और भतीजा जो होटल संभालता है, वे भी वहां मौजूद नहीं थे।"
बचाव कार्य जारी
अधिकारियों के अनुसार अब तक दो शव बरामद हुए हैं जबकि 60 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। राहत कर्मियों का कहना है कि घटनास्थल पर 50-60 फीट तक कीचड़ भरा है जो दलदल की तरह है। भारी मशीनरी के बिना इसे हटाना लगभग असंभव है।यह घटना उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती समस्या को दर्शाती है। धारली गांव की यह त्रासदी एक बार फिर दिखाती है कि कैसे मिनटों में प्रकृति का कहर जिंदगियों को बदल देता है।
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